अकेला चल

मुश्किलों से घबराता क्यों है?
झंझटों से डर जाता क्यों है?
हौंसला रखकर पर्वत पर चढ़
चोंट पर इक, रुक जाता क्यों है?

असहाय तू खुदको ऐसे, किस समय तक पाएगा?
परिवार से भी आश्रय, आखिर कब तलक पाएगा?
कोई नहीं साथी जब तेरा, तो अकेला ही चल
हर लक्ष्य आज नहीं तो, असंशय कल तक पाएगा।

©अरूणा जैसवाल

Leave a comment