आयी घटा

आनंद आयो जोर लगी तन पर छँटा

चारों दिशा से उमड़ घुमड़ के आयी घटा

मेह हुयो हुई भोर लगी सुहावन जोर

भीगी सारी भूमि छोड़ी नही कोई छोर

टिम टिम बरसा पानी रिमझिम हुई बारिश

किसानो की पूरी हुई हर ख्वाहिश

खेतों में खड़ी फसले मुस्कराने लगी

छोटे बच्चो से बड़े बूढ़ो तक नई उम्मीद जगी।

©अग्यार’बिश्नोई’

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