उद्देश्य मेरे जीवन का

हो प्रभाकर सा उदित,
प्रकाश मेरे जीवन का।
रहूँ चाँद सी शीतल,
जीतूँ आस विश्वास मन का।

सरिता की सलिल सी,
मेरे मन का दर्पण हो।
प्रेम प्रकृति सा पावन,
पवित्र मेरा तर्पण हो।

जीवन के हर कदम पर,
माता-पिता का साथ हो।
कर्म अपना ऐसा करूँ,
सबको मुझ पर अभिमान हो।

यह मेरा जीवन सदा,
माता-पिता के ही नाम हो।
मनानंदित मनोहर मधुर-मधुर,
वाणी मेरी पहचान हो।

स्वरचित मौलिक रचना

-इन्दु साहू,
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)

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