नवरात्रि आयी माता, माता का है जगराता,
कन्या रूप माता बन,
घर मेरे आयी हैं!
तिलक लगाऊँ मैं तो, गीत तेरे गाऊँ माता,
चुनरी सजाऊँ माता,
नैन ये हर्षायी हैं!
हलवा पूड़ी है भोग, माता का है शुभ योग,
माता रानी निज संग,
खुशियाँ भी लायी हैं!
घर में गूँजे भजन, हर्षित ये तन-मन,
माता जी के शुभ नाम,
चहुँ ओर छायी है
©इन्दु साहू,
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)