हुई भोर

मन मीत संग प्रीत,

लगी मन मोहन,

तन सोहवन

हुई भोर ,

जगी डोर ,

छुई छोर ,

निकला मोर

चुगवन दाना,

खेलत श्यामा

नील गगन,

छत्र छाया

विचित्र माया,

चित्रित काया

©अग्यार’बिश्नोई’

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