जिसे आबाद कर दे उन पर खुदा का करम है ।
और जो जी रहे हैं ऐसा सोच कर, ये उनका भरम है ।
मोहब्बत में आज तक मिली सिर्फ दर्द है ,
हो जाए गर मोहब्बत तो फिर बेबसी आपकी हमदर्द है।
©जय राधिका
नवोदित कवि एवं साहित्य
जिसे आबाद कर दे उन पर खुदा का करम है ।
और जो जी रहे हैं ऐसा सोच कर, ये उनका भरम है ।
मोहब्बत में आज तक मिली सिर्फ दर्द है ,
हो जाए गर मोहब्बत तो फिर बेबसी आपकी हमदर्द है।
©जय राधिका