मोहब्बत की जंग में

मोहब्बत की जंग में,
न जाने कितने परवान हुए।
कोई हीर-रांझा,
कोई सोनी-महिवाल हुए।
किसी को मिली राधा-कृष्ण सी मोहब्बत,
तो कोई मोहब्बत में वीरान हुए।

एक कसक है मोहब्बत।
एक रसक है मोहब्बत।
एक वादा,एक विश्वास है मोहब्बत।
एक ललक दिल की,
संग जीने मरने का;
नाम है मोहब्बत।

तनु को जो महका दे,
वह मुश्क है मोहब्बत।
जीवन में जो रंग भर दे,
वह कवायद है मोहब्बत।
आँखों की चमक,चहरे का नूर
दिल का पैगाम है मोहब्बत।

रुह से रुह का रिश्ता,
है जज़्बातो का तूफान कोई,
या ख्वाबों का सैलाब है,
कुछ भी कहे ये जमाना यारो
नहीं जिंदगी में मोहब्बत तो
जनशून्य है ये जिंदगी।


©श्वेता दूहन देशवाल

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