कहने दो ज़माने को काम है उसका कहना।
मोहब्बत की है कोई गुनाह नहीं,क्या डरना।
अपना अपना नज़रिया हैं, जिस नज़र देखे।
इश्क़ है मुझे रूह से,मुझे जिस्म का क्या करना।
©आशीष कुमार भट्ट
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