“मेरे भारत का बेरोजगार युवा,
भटक रहा है रोजगार की तलाश में।
साथ में लिए हुए कीमती डिग्रियां हाथ में,
भटक रहा है भारत का युवा रोजगार की तलाश में।
विचारणीय है बात यह क्यों उसको यह अधिकार नहीं मिलता,
अपनी जन्म भूमि में क्यों उसे रोजगार नहीं मिलता।
निराश होकर फिर वो करता है पलायन विदेशों की ओर,
बेच कर अपनी पुरखों की दौलत निराशा को साथ लिए।
चला जाता है वो अपने घर-संसार से दूर,
अपनी एक नई दुनिया बसाने के लिए।
इसलिए कि बेरोजगार होने का ताना न मिले उसे सुनने को,
अपने भारत का नाम चमकाने के लिए…..
वो चला जाता है मां भारती से दूर बेरोजगार न कहलाने के लिए।
बेरोजगार न कहलाने के लिए”।।
©सिया
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