प्यार तुमसे ही किया है
छिपकर अश्क़ बहाए हैं
अब न ठुकराना यारा
मेरे आगे ग़म के साये हैं।
सच्चा प्यार कहाँ मिलता
ये बात बतानी होगी क्या
अब तक जुबाँ ख़ामोश रही
जज़्बात सुनानी होगी क्या?
काली तूफ़ानी रातों में
प्यार का शमां जलाए हैं
इसको न बुझाना यारा
मेरे आगे ग़म के साये हैं।
प्यार है चाँदी प्यार है सोना
प्यार से महके हर एक कोना
है अनमोल खज़ाना यह
शिद्दत से तुझ पर लुटाए हैं।
पूनम सिंह (प्र.अ.)
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