बड़े नाज़ुक डोर के होते हैं ये रिश्ते,
संभल कर पकड़ना कहीं टूट न जाए।
ख़ुद बचा लेना तुम बढ़कर थोड़ा आगे,
दो ही सिरे हैं कहीं एक छूट न जाए।
बड़े नादान परिन्दे होते हैं ये रिश्ते,
सहजता से रखना कहीं घुट न जाए।
हँसकर जी लो कुछ पल अपनों के संग,
चार दिन की जिंदगी कहीं लुट न जाए।
©पूनम सिंह
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