तेरे प्यार में जोगन होकर मीरा हो गई हूँ
थोड़ा तुम भी श्याम हो जाओ तो क्या
बहकी सी हो गई हूँ ,बावली सी हो गई हूँ
थोड़ा तुम भी मतवाले हो जाओ तो क्या
तोड़ दी है मैने हर जंजीर को ,सच में तोड़ दी है
कुछ बन्धन तुम भी तोड़ के आ जाओ तो क्या
जहर भी पिला दो तो भी हँस के पी जाऊँगी
तुम भी गर अमृत सा हो जाओ तो क्या
मेरी मंजिल दूर कहीं उस क्षितिज के पास है
मैं जम़ी हो जाऊ, तुम आसम़ा हो जाओ तो क्या
मेरे अरमान इन्द्रधनुष सा छाए है,क्या तुम पर भी
मेरे रंग में रंग के तुम भी रंगीन हो जाओ तो क्या
मैं एक जोगन सी हो गई हूँ तुम्हारे प्रेम में अब तो
मेरे प्रेम में एक मलंग सा तुम भी हो जाओ तो क्या
मानसिंह सुथार
श्रीगंगानगर , राजस्थान
मानसिंह सुथार
श्रीगंगानगर , राजस्थान
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