माता के उदर में क्रीड़ा कष्टदाई रहती है
बस एक निश्चित समयाअवधि रहती है
समय का प्रभाव अति भारी और सत्य है
स्मरण है सब को फिर भी विस्मृत रहती है
एक जीवन चक्र समय का ही चक्र है
जन्म से मृत्यु तक की समयावधि रहती है
कुछ सत्कर्मो पर समय का प्रभाव रहता है
नहीं तो स्वर्ग नरक में ही आत्मा उलझी रहती है
समय का बहाव अविरल है , कोई अवरोध नहीं
समय कभी रूकता नही , सूर्य की गति चलती रहती है
समय के प्रभाव से कभी समय भी न बच पाया है
लौटा न कभी मुड़ के , गति धारा में चलती रहती हैं
©मानसिंह सुथार
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