एक आरजू है मेरी/सिया

आए है महफ़िल में तेरी,
रुसवा हो कर न जाएंगे।

या तेरे हो कर जाएंगे,
या तुझे अपना बनाकर जाएंगे।

देखा है अपनी इन आंखों से,
तेरी सुंदर सी फुलवारी को।

तेरी इस फुलवारी में,
महक अपनी बिखेर हम भी जाएंगे।

किया रुसवा हमें इस दुनिया ने बहुत,
मेरे दाता तेरी दुनिया से रुसवा हम न जाएंगे।

लिया जन्म धरती पर तो नाम चमकाएंगे तुम्हारा,
जैसे आए है वैसे ही इस दुनिया से हम न जाएंगे।

मेरे मालिक तेरी लहरों का हिस्सा मैं भी हूं,
इन सारी लहरों को पार हम कर जाएंगे।

बस इतनी कृपा हम पर करना,
अपनी दया का हाथ हमारे सिर पर रखना।

©सिया

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