आंसू और पीड़ा औरत का गहना है,
एक आंख में जड़ा मोती और दूजा शरीर में बसा नगीना है।
औरत जब तलक बेटी का जीवन जीती है ,
इन दोनों श्रृंगार से उसका नहीं कोई लेना देना है।
जैसे ही किसी घर की बहू बन जाती है,
सर पर उसके ज़िम्मेदारियों का ताज उम्र भर उसके रहना है।
पापा की रानी कहलाने वाली , ससुराल में नौकरानी से भी बदतर जिंदगी में भी खुश रहती है,
क्यूंकि उसे पता है अब उसे पूरा जीवन इसी हाल में जीना है।
©भावना
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