दास्तान-ए-इश्क / सिया

“मेरे रूह से निकले जो एहसास तेरे लिए,
वो तेरे लिए प्यार है मेरा।

तेरे दिल में बसता है विश्वास जो मेरे लिए,
वो तेरे लिए प्यार है मेरा।

दो अजनबी हम साथ चल रहे है,
एक प्यारे से बंधन में बंध रहे है।

दिल से करीब हम और रूह से पास है,
कितनी भी दूरी हो फर्क नहीं कोई खास है।

धड़कता है जो तेरे दिल में धड़कन बन कर,
वो धड़कन मेरा प्यार ही तो है।

आता है जो ठंडी हवा का झोंका तेरे पास मुझे छू कर,
वो कुछ और नहीं मेरा प्यार ही तो है।

महसूस करते हो जो खुद के भीतर आती जाती सांस को,
वो एहसास भी मेरा प्यार ही तो है।

और क्या और कैसे हक तुझ पर जताऊं मेरे सजना,
अपने प्यार को कैसे मैं बताऊं मेरे सजना।

हो सके तो महसूस करना इसे,
तुम्हारे लिए मेरे इस स्नेहिल प्रेम को”।

©सिया

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