मेरे हमदम मेरे हमसफर/ सिया

ओ रंगरसिया, मेरी जिंदगी में,
तुम्हारा आना भी कितना हसीं था।
कि तुम आए जिंदगी में तो,
ज़िंदगी बहार बन गई।।

तुमने छुआ ऐसे दिल को,
यह खुली किताब बन गई।
संजोया मैंने इसको बड़े ही प्यार से,
महसूस किया इसे मैंने बड़े ही एतबार से।।

जैसे तुम कहते रहे वैसे करने लगी मैं,
तेरे प्यार के रंग में खुद को रंगने लगी मैं।
मन ही मन ख्वाब तुम्हारे बुनने लगी मैं,
मोती तेरे प्यार वाले मन में चुगने लगी मैं।।

मेरा हर पल हर क्षण सुहाना हो गया,
मन में मेरे तेरा दिन रैन बसेरा हो गया।
कुछ भी न रहा अब मेरा,
सब कुछ हमारा हो गया।।

हो गए हम एक-दूसरे के,
और ये जग सारा हमारा हो गया।
प्रभु की कृपा ऐसी ही बनी रहे सदा,
अब दोनों मिलकर प्रभु से करेंगे दुआ।
अब दोनों मिलकर प्रभु से करेंगे दुआ”।।

©सिया

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