बेड़ियाँ तोड़ पाँव पर्दे से निकाल के चल!
झूठे शाहों के ताजों को उछाल के चल!
तेरी इस्मत तेरे ही हाथों महफ़ूज़ होगी;
तू ख़ुद ही अपना आँचल सँभाल के चल!
© रवि आफताब
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