आत्मनिर्भर नारी / श्रीराज मेनन

होगा जब आत्मनिर्भर नारी
मिठ जाएगा आन्याय तुम्हारी
लड़ना है जंग इस दुनिया से
जो समझें कमजोर और अनाड़ी

तुम दिखा दो उन लोगों को
जो सिर्फ झुकाना ही जाने
हम नहीं झुकेंगे यहाँ कभी
इस दुनिया को बदल डालेंगे

होता है हक़ भी बराबरी का
मिलाना भी है कन्धे से कन्धा
ना कोई छोटा ना हैं कोई बड़ा
मिठ जाए फरक़ बस ये है दुआ


©श्रीराज मेनन (राज)

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