पुरातन हो या आधुनिक काल,
नारी की सहभागिता बहुत समर्द्ध है,
हर काल में विरांगनाओं की अनेको अनेक,
असंख्य गाथाएँ मिलती है।
भारत भूमी देव भूमी ही नहीं,
असंख्य विरांगनाओं की जननी भी है,
यहाँ दुर्गा ,सरस्वती,लक्ष्मी हो
या पर्वत पुत्री पार्वती की भी कहानी मिलती है।
माता अदिति हो या देवी अहिल्या हो
या देवी कैकेयी या देवी सीता ,
भारतीय पुरातन पुराणों व ग्रन्थों में
नारी शक्ति का प्रभावी वर्णन मिलता है।
आधुनिक युग भी बड़ा समर्द्ध है ,
विरांगनाओं की औजस्वी गाथाओं से ,
रानी लक्ष्मी बाई जैसी हजारों हजार ,
गाथाओं का प्रभावी प्रमाण मिलता है।
वर्तमान समय भी स्वर्णिम कालखण्ड है ,
नारी हर क्षेत्र में अग्रणी है ,
इंदिरा गाँधी, कल्पना चावला ,
सुषमा जी जैसी महिलाओं का संघर्ष मिलता है।
क्रीडा क्षेत्र भी धनी है ,
अद्भुत कौशल के असंख्य कोटी प्रमाण है ,
मैरी काॕम ने दिखाया कैसे धूल से उठकर ,
एक चमकता आसमान मिलता है।
पुरूष प्रधान समाज की एकात्मकता
और हजारों बंदिशों के बावजूद ,
एक नारी को भी उत्थान का मौका
इतनी सरलता से हर बार कहाँ मिलता है।
अपनी जीवटता से भारत भूमी का गौरव
मैरी काॕम ने कई बार बढ़ाया है ,
बहन , बेटी , बहुँ और फिर माँ के रूप में
ऐसा अद्भुत उदाहरण कहाँ मिलता है।
विश्व पटल पर भारतीय ध्वज को
खुला आसमान और मान प्रतिष्ठा ,
करोड़ों की जनसंख्या के बावजूद
क्रिड़ा क्षेत्र में बहुत बार कहाँ मिलता है।
नारी दिवस पर प्रेरणास्वरूप महान
मैरी कॉम एक अद्भुत आदर्श है ,
क्रिड़ा क्षेत्र हो या अन्य क्षेत्र ,
संविधान में भी अधिकार जीवटता को मिलता है।
समस्त नारी समुदाय के बिना सब कुछ
अधुरा और अपूर्ण नजर आता है ,
नमन ह्रदय से नारी के सभी रूपों को ,
ऐसा अवसर बार बार कहाँ मिलता है।
©मानसिंह सुथार
श्रीगंगानगर ,राजस्थान
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