औरत / सैमी

औरत हूँ मैं तेरी जरुरत का सामान नहीं
आवाज़ है मेरे दिल में भी तेरा कोई कबाड़ नहीं

हक़ है मेरा भी मुझे कभी तो बोलने दे
तेरे बिस्तर पर पड़ी मैं तेरा कोई आराम नहीं

हर ख्वाइश मैं पूरी कर सकती हूँ
मुझे सम्मान दो ज़िन्दगी भर का ये अपमान नहीं

औरत हूँ मैं तेरी जरुरत का सामान नहीं…

©सैमी

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