उलझन /प्रगती ई. साहुजी

है कैसी उलझन बोलो तो
अपनी बातो को सच्चाईमे तोलो तो
ना आये किसीको आप पर घुस्सा
जनाब कुछ ऐसी बाते बोलो तो

हर किसीको आदत है हो गई
बकवास सी बातो को खोलो तो
ना लगा दिल से किसिके बात को
अपने दिलमे विश्वास डालो तो

लोगोकी छोडो खुदकी
बाते दिलमे पालो तो
कुछ करने के लिये
खुदका नजरिया जरासा बदलो तो

ताने मारने पूरी दुनिया आएगी
खुदके लिय थोडा सा जिलो तो
लोगोंकी तानो का जवाब कब तक दे
है कैसी उलझन बोलो तोप्रगती ई. साहुजी
औरंगाबाद, महाराष्ट्र

©प्रगती ई. साहुजी
औरंगाबाद, महाराष्ट्र

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