सभ्य लोगो का सभ्य समाज
जान तो लो स्त्रियों के काम काज
कर लो कभी उनके काम पर नाज
वो शक्ती शाली उसमे है रिश्तो के कई राज
हर जगह मिला उसे समान वेतन
फिरभी मिलती है बेचारी होने की छन छन
हर रिश्ते मे रखती है वो सबका मन
सभ्य लोग फिरभी ना कर पाए उसे नमन
सब जगह हो पाता स्त्रियों का जतन
ना रंगने दो गलत इल्जाम से उसका दामन
ना करो उस पर हुए गुन्हावो को दफन
कर दो बुरे कर्मो का अग्नी दहन
©प्रगती ई. साहुजी
औरंगाबाद, महाराष्ट्र
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