हैं कैसी उलझन बोलो तो / मोहम्मद इमरान बिहार

हैं कैसी उलझन बोलो तो
न दिन समझ रहा है न रात समझ रहा है ये आशिक बस तुम से प्यार करता ही जा रहा है करता ही जा रहा है

ये जनता है प्यार का परीणाम क्या होगा।
परिणाम जान कर भी अनजान बनता ही जा रहा है ,अनजान बनता ही जा
रहा है
ये कैसा आशिक है।

समाज में प्यार करना एक अपराध है।
इसे मालूम है अपराध करने का क्या सजा होगा
अपराध जान कर भी, ये इंसान तुम से प्यार करता ही जा रहा है, करता ही जा रहा है
ना जाने ये कैसी उलझन है
ये आशिक तुम पर मरता ही जा रहा है तुम से प्यार करता ही जा रहा है
हैं कैसी उलझन बोलो तो

लिखना इसके बस की बात नही,
फिर भी ये प्रेमी तुम पर कई सालों से कविता लिखता ही जा रहा है लिखता ही जा रहा है
ना जाने ये कैसा प्रेम की कवि है।
इनके कविताओं में प्यार की खुशबू आता ही जा रहा है, आता ही जा रहा है
ये आशिक तुम से प्यार करता ही जा रहा है करता ही जा रहा है

©मोहम्मद इमरान बिहार

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