है कैसी उलझन बोलो ना
मन के राज तुम खोलो ना
क्यों बैठे हो चुप चुप तुम कुछ तो लफ्ज़ बोलो ना
है कैसी उलझन बोलो ना
क्यों है उदासी इस चहरे पर बोलो ना
क्यों खफा हो हमसे क्या खता है हमारी
चाहे डॉट लो हमे पर कुछ तो बोलो ना
है कैसी उलझन बोलो ना
मन भी दुखी है आंखे भी नम है
दिल मरने जा रहा है उसको रोको न
दिल जो सुन्ना चाहता है बोलो न
है कैसी उलझन बोलो ना
©प्रिया
आपकी कवयित्री
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