है कैसी ये उलझन बोलो ना /छोटेलाल

है कैसी ये उलझन ,बोलो ना
क्यों बेचैन है मन, बोलो ना
तुम भी मेरे पास बैठे हो,
फिर कैसी ये तडपन ,बोलो ना
चेहरे पर तो मुस्कान लिए फिरते हो,
फिर क्यों मन मे इतना क्रंदन, बोलो ना
कहते हो जमाने की फिकर नही तुमको,
फिर ये लज्जा का कैसा बंधन,बोलो ना

©छोटेलाल

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