ऐ जिदंगी तुझे सलाम /सविता मिश्रा

ऐ जिदंगी तुझे सलाम
सुख और दुख ,सब तेरे आयाम

समय की तर्ज पर नित नवीन
धुन  गुनगुनाती है
वक्त की किताब  पर
नित नये हर्फ लिख जाती है
कभी गिराती है,कभी उठाती है
सम्हलने का पाठ, ऐसे ही पढाती है
हर,रोज एक नई  परीक्षा
एक नई  कसौटी पे कसकर
हमे होशियार  करती है
दुःख  की आग पे तपा तपाकर

हमे कंचन  बनाती है
परिस्थितियो से लड़ना सिखाती है
कभी होठो पर मुस्कान ,तो
कभी आंखों मे आँसू  दे जाती है
चाहे कैसे भी हो हालात
हर शख्स जीना चाहता है
शुक्रिया ऐ जिदंगी
करते है तेरी बंदगी


©सविता मिश्रा

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