नाकाम प्यार तेरा शुक्रिया,
तूने मुझे इश़्क की अहमियत बताया।
तुझे खोकर ही मैने जाना,
कितनी गहराई है इस मोहब्बत में-
तेरी जुदाई ने मुझको समझाया।
ए गुजरा हुआ वक़्त तेरा शुक्रिया,
तूने मुझको विरह की धूप में बरसो जलाया,
फिर तूने ही संभलना सिखाया,
चिराग सी हल्की सुलगती मोहब्बत को तूने
कभी ना बुझने वाला ज्वाला बनाया।
ए मेरी कलम तेरा शुक्रिया,
तूने मेरे आँसुओं को समेटकर श्याही बनाया,
जज़्बातों को अल्फाज़ ,
गज़लें,नज्मों से मेरे दिल के काग़ज़ को सजाया
ए बदलती तकदीर तेरा शुक्रिया
©हेमा भट्टारोय
पश्चिम बंगाल (बांकुड़ा)
हमें विश्वास है कि हमारे रचनाकार स्वरचित रचनाएँ ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे प्रिय रचनाकार व पाठक यह दावा भी करते है कि उनके द्वारा भेजी रचना स्वरचित है।
आपकी रचनात्मकता को काग़द देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहाँ क्लिक करे।