शुक्रिया ज़िन्दगी / निखत

शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जो तूने मुझसे मेरी ख़ुशी छीनी मेरी बेचैनी बढ़ा कर मेरा क़रार लुटा!

शुक्रिया ऐ गुमनाम ज़िन्दगी मेरी, ना नाम दया ना पहचान दिया, गम के सांचेज मे तूने मुझे खूब ढाल दया

ज़िन्दगी का मज़ा अब आने लगा जब दर्दे दिल बढ़ने लगा, गिला नहीं है मुझे तुझसे ऐ ज़िन्दगी,!

शुक्रगुज़ार हु तेरा की दे कर दर्द, तूने पहचान कराया अपनों का, उम्र भर जो भरम था मुझे वो भरम तूने तोड़ा मेरे सपनो का!

बता ऐ बर्बाद ज़िन्दगी मेरी
किस्मत मे क्या लिखा है तूने
कौन सी मोड मुडु कौन सा रास्ता चालू, जिसे कुछ तो राहत मिल जाये मेरे दिल को, की मंज़िल नज़र आ रहा है किस्मत मेरी बदलने वाली है,!

गुमे तन्हाई अब मुकद्दर बन गए मेरी,
शुक्र है ऐ ज़िन्दगी तेरी
शुक्र है ऐ ज़िन्दगी तेरी!

©निखत

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