क्या खोया क्या पाया / हेमा

संतान की परवरिश में दिन
और रात को तूने एक किया,
उसको चैन की नींद देने को
रात-रात भर तू ख़ुद नही सोया।

जिम्मेदारियों के बोझ तले
जवानी को अपना गंवाया।
छोड़ कर तुझको चला गया
सात समंदर पार घर बसा लिया।

बड़ा अफ़सर बनाना जो तूने
चाहा था आज वो बन गया,
पर अरे!तेरे लाठी का सहारा
आज तो लेकिन वो बन नहीं पाया।

क्या पाया तूने क्या गंवाया,
उसको तूने काबिल बनाया,
आसमान पर चढ़ना सिखाया
पर किसलिए इस जमीन से ही हटाया।

©हेमा भट्टारोय
पश्चिम बंगाल (बांकुड़ा)

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