रोटियाँ / छोटेलाल

किसी को सुकून से सुलाती हैं रोटियाॅं,
किसी को दिन रात जगाती हैं रोटियाॅं,


कोई दो कदम चल कर पा लेता है इन्हें,
किसी को सारा दिन भगाती हैं रोटियाॅं।


होती हैं सब पर मेहरबान रोटियाॅं,
डाल देती हैं मुर्दों में जान रोटियाॅं।


राजा हो फकीर हो सबको एक सी मिलती हैं,
करती नहीं किसी का अपमान रोटियाॅं।


मुझे मुनासिब नहीं दगा की रोटियाॅं,
इससे बेहतर खा लूंगा सजा की रोटियाॅं।


किसी का छीन कर खाना मेरे लहजे में नहीं,
मुझे अच्छी लगती हैं रज़ा की रोटियाॅं।


जब भी बाहर खाता हूं रेस्तरां की रोटियाॅं,
बहुत याद आती हैं मुझे माॅं की रोटियाॅं।

©छोटेलाल गोंड
राज्य – उत्तर प्रदेश

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