रोटियाँ / झाहिदा पठान

बड़ी मेहनत करवाती हैं रोटियाँ,
बड़ी मुश्किल से मिलती हैं रोटियाँ।
दिन भर धूप में तपना पड़ता है,
तब कही जा कर पकती हैं रोटियाँ।
ये हैं तो बहुत छोटी सी मगर,
काम बड़ा करती हैं रोटियाँ।
कद्र अपनी फिर भी खोती हैं रोटियाँ,
कम हो तो रुलाती हैं रोटियाँ,
कर इस की कीमत ए झाहिदा,
वक्त पर खुद अपनी कीमत बताती हैं रोटियाँ।

©झाहिदा पठान

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