बदलता समाज / मोहम्मद इमरान

बेहतर है कुछ बातें छूपी रहना, बेमतलब बात मत बोलो,
माना, इन्सान बदल रहा है, तुम समाज हो, समाज मत बदलो।

वो शैतान है शैतान ही रहेगा उसे इंसान में मत बदलो
माना उसका जिंदगी खराब है
उसको फरिश्तों में मत बदलो

जा रहा है, जाने दो, किसी का रास्ता मत बदलो,
माना चलने के सिलसिले में खतम हो रही है दूरियां
मंजिल को और दूरियों में मत बदलो

सब जानते हैं वो गुनहगार है
उसे इतना बड़ा सजा में मत डालो
माना वो एक गुनाह किया है
उसे पछतावा पर रहने दो।
उसे हैवान बनने की मजबूरी में मत बदलो।

माना इन्सान बदल रहा है तुम समाज हो समाज मत बदलो

©मोहम्मद इमरान

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