कागज / राजेन्द्र कुमार अमरा

शुभाशया पत्रीय कागज कागद महिमा|
तालपत्रीय से कागज कागद तक||
तालपत्रीय लेखनी स्याही शुभाशया|
सारगर्भित मौलिक उपकारी लेखन||
सचराचर को निर्भय करता देता संदेश|
न वृक्ष काटना होता न क्षुप लताऐ||
अब देखो जहाँ भी देखो रात दिन |
समाचार पत्र से शुभ प्रभात होता||
पुस्तकों का बोझ हर छात्र पर होता|
स्लेट बाती दोनों गये अब न, नाम ||
ऐसे समय की बिडम्बना आयी|
कागदा कौ सब काम लक्ष्मीयपत्रीय||
धातु गयीचलन से बाहर दशीयो से|
पत्र मुद्रा व्यवहार है उपयोगी||
शुभाशया अहर्निश पत्रव्यवहार |
गीता रामायण शुभाशया संदेश||

©राजेन्द्र कुमार अमरा

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