कागद और उसकी जरूरत / झाहिदा पठान

है बहुत ही मामूली लेकिन,
करता बड़ा काम है कागद।
हर मौके पर देता ये साथ है,
बचपन का है साथी ये कागद।
बारिश की पानी मे शान से चलता वो जहाज,
दे गया था ये हुकमूरानी हमे कागद।
दिल के जज्बात न पाते कभी भी खामोश ज़ुबान,
होता न अगर ये लेखक कागद।
ये सदियों से लाता है पयाम प्यार के,
जोड़े है रिश्ते दिल से दिल के कागद।
कभी भरता आंखों नमी,
तो कभी सजाता मुस्कान लबो पर,
करता दिल के हर भाव को उजागर कागद।
ये जरूरत थी कल की,
ये जरूरत है आज भी,
है दौर मे सब से बड़ी जरूरत है कागद।

©झाहिदा पठान
महाराष्ट्र , रायगड़

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