स्वयं की पहचान /पूजा सूद डोगर

नवगठित आंतरिक शक्ति का जो साक्षात्कार कर लूँ मैं,
अपनी कलम से स्वयं की पहचान आज तो बना लूँ मैं,,

बिखेर दूँ लेखन के हर रंग को कोरे काग़ज़ पर जो मैं,
मन की तरंगों संग सृजन उस पर नित नया कर लूँ मैं,,

चाह है साहित्य के नभ पर चमकता कोई सितारा बनूँ,
भावों को उकेर कर काग़ज़ पर एक तारिका बन सजूँ,,

अल्फाज़ों को पहनाकर जामा कलम संग रिश्ता निभाऊँ,
साहित्यिक अलंकारों का गहन अवलोकन मैं कर पाऊँ,,

नमन कर स्वयं को लेखन की राह चलने को साधित हूँ मैं,
कतरा-कतरा नहीं, पूरी कायनात अब कर लूँ काबिज मैं।

©पूजा सूद डोगर
शिमला
हि. प्र.

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