हर-हर में है हर बसे,
इसमें, उसमें, मुझमें, तुझमें,
हर-हर को हर की आस,
हर को हर-हर बूँद भी फ्री,
और हर-हर है मोरे पास
©सलोनी
हमें विश्वास है कि हमारे रचनाकार स्वरचित रचनाएँ ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे प्रिय रचनाकार व पाठक यह दावा भी करते है कि उनके द्वारा भेजी रचना स्वरचित है।
आपकी रचनात्मकता को काग़द देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहाँ क्लिक करे।