सबके देखने का नज़रिया जुदा होता है,
एक ही सिक्के का पहलू भी दो होता है।
न कोई छोटा और न ही बड़ा होता है,
निज पुरुषार्थ से हर रुख बदल देता है।
हार में भी जीत का किंचित मजा लेता है,
कोई जीता है फिर भी सिर पकड़ रोता है।
मेरे प्यारे! वही इंसान सफ़ल रहता है,
जो हर अंजाम में अंदाज अलग रखता है।
©पूनम सिंह
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