किसी ने कहा स्वाभिमानी मुझे तो किसी ने कहा अभिमानी,
जैसा जिसका नजरिया उसने लिख दी मेरी वैसी कहानी।
कहने को तो मेरे अपने मुझे अच्छे से जानते थे,
लेकिन जानने के बाद भी, मैं थी सबके लिए अनजानी।
जानते है सब कि गलत के लिए झुकना पसंद नहीं है मुझे,
फिर भी कहते है सब, मैं करती हूं अपनी मनमानी।
मनमानी है अगर तो मनमानी ही सही , मैं ऐसे ही अपने कर्म करती रहूंगी,
जो कहते है सब कहते रहो मुझे, मैं ऐसी ही अपनी डगर पर आगे बढ़ती रहूंगी,
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता सबकी कहा सुनी से, जैसी जिसका नजरिया वैसी ही दे दो मुझे निशानी।
©Bhawna
Uttar Pradesh
हमें विश्वास है कि हमारे रचनाकार स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे प्रिय रचनाकार व पाठक यह दावा भी करते है कि उनके द्वारा भेजी रचना स्वरचित है।
आपकी रचनात्मकता को काग़द देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें