कातर भरी निगाहों से देखता हर एक बेरोजगार
शायद कुछ भला कर जाए अबकी यह सरकार।
पर मिलती बदले में उसको फ़िर से एक दुत्कार
आख़िर कब तक लगेगी उसकी नइया बेड़ा पार।
कसकर कमर खड़े हो अपना कोई न खेवनहार
शुरू करो कोई काम-धंधा चाहे छोटा ही व्यापार।
बस तेरे स्वावलंबन की होनी चाहिए एक दरकार
कोई काम कमतर मत आँको सपने होंगे साकार।
©पूनम सिंह (प्र.अ.)
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