आ गयी है रुत प्यार करो,
सेज फूल की तैयार करो,
भूल जाओ सब नोंक झोंक ,
शूल से न कोई वार करो।
देख गुलाब को कैसे खिलता है,
भय न इसे काँटों से लगता है,
प्रेम का संदेश दे हर प्रेमी को,
प्रेम की मुश्क से तर करता है।
प्यार मुहब्बत प्रेम जगाओ,
काँटों को अब दूर हटाओ,
बन ओस की बूंद बूंद सा,
प्रकृति को प्रेम से भिगाओ ।
बन आस किसी को राह दिखा,
हर दर्द में भी तू जीना सिखा,
रंग दे जो दर्द पीड़ा खुशी से ,
बन जा तू एक ऐसा सखा।
©श्वेता दूहन देशवाल
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