जीवन के झंझावातों को पार करते हुए..
तेरे-मेरे एहसासों को पढ़ते हुए..
मुझे
“कविता का होना” समझ आया !!
इसलिए चाहती हूं
निकलना
कहीं न पहुंचे हुए रास्तों पर
और भीग जाऊं अचानक आई हुई बारिश में ,
लौट आऊं..खुद को खोकर कहीं
कोई मनचाही कविता गुनगुनाते हुए !!
शुक्रिया जिंदगी
यूं “मनसी” की जिंदगी बदल जाने के लिए !!
©नमिता गुप्ता “मनसी”
मेरठ, उत्तर प्रदेश
हमें विश्वास है कि हमारे रचनाकार स्वरचित रचनाएँ ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे प्रिय रचनाकार व पाठक यह दावा भी करते है कि उनके द्वारा भेजी रचना स्वरचित है।
आपकी रचनात्मकता को काग़द देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहाँ क्लिक करे।