हिन्दी साहित्य के प्रसार…. नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित….
- ईश्वर / सलोनी
- कागज़ को पढ़ना जरूर/हेमा भट्टरोय
- कागज और उसकी जरूरत/पुष्पा निर्मल
- काग़द की जरुरत /डॉ. कवि कु. निर्मल
- कागज /सुशील कुमार जाटव ‘सुशील
- स्वयं की पहचान /पूजा सूद डोगर
- कागद और उसकी जरूरत / झाहिदा पठान
- जरूरत है जैसे /अनुराग उपाध्याय
- कागज / राजेन्द्र कुमार अमरा
- कवि के लिए कागज़ /श्वेता दूहन देशवाल
- बदलता समाज / मोहम्मद इमरान
- बुरा मान गए / कुमार अविनाश केसर
- पहचान होनी चाहिए / कुमार अविनाश केसर
- बेटी /कुमार अविनाश केसर
- कवि को नही पता / डॉ. कवि कुमार निर्मल
- ना तरसाओ / सैमी
- ठहरा आदमी भी एक सफ़र में रवाना है /कुमार अविनाश केसर
- बदलता समाज / राखी
- बदलता समाज/ झाहिदा पठान
- बदलता समाज / मानसी
- कभी कभी यूँ भी / झाहिदा पाठन
- जीवन एक रंगमंच / मानसिंह सुथार
- एक दूसरे के बग़ैर / हेमा
- रोटियाँ / छोटेलाल
- रोटियाँ / झाहिदा पठान
- रोटियाँ /अरविंद यादव
- तू हार गया या तेरी जीत हुई /अरविंद
- क्या खोया क्या पाया / हेमा
- पराजित नहीं हैं हम/ नमिता गुप्ता’ मनसी
- तू हार गई या तेरी जीत हुई? छोटेलाल
- ज़िन्दगी तो पहेली हैं/ अजित कौर
- ए जिंदगी तेरा शुक्रिया/priyal
- ए जिंदगी तेरा शुक्रिया /मोहम्मद इरफ़ान
- शुक्रिया ज़िन्दगी/ महिमा
- ए जिंदगी तेरा तो कहना ही क्या/तिलोक सुथार
- शुक्रिया ज़िन्दगी/जाहिद पाठन
- ऐ जिदंगी तुझे सलाम /सविता मिश्रा
- शुक्रिया ज़िन्दगी / निखत
- शुक्रिया /हेमा भट्टारोय
- शुक्रिया ज़िन्दगी / अनुकृति शर्मा
- शिकायते तो बहुत है /अनिश
- जिन्दगी का आभार/मानसिंह सुथार
- कविता का होना समझ आया/ नमिता गुप्ता “मनसी
- शुक्रिया जिंदगी /श्वेता दूहन देशवाल
- शुक्रिया जिंदगी / छोटेलाल गोंड
- शुक्रिया जिंदगी / रावण
- है कैसी उलझन बोलो तो /अजित कौर
- बहुत बार /नमिता गुप्ता “मनसी”
- सभ्य समाज – स्त्री विमर्श / प्रगती ई. साहुजी
- आजाद गगन में उड़ जाना / मानसी
- है कैसी उलझन/सैमी
- है कैसी उलझन बोलो ना / प्रिया
- मर्यादा की जंजीरों के जख्म
- है कैसी ये उलझन बोलो ना /छोटेलाल
- उलझन /प्रगती ई. साहुजी
- हैं कैसी उलझन बोलो तो / मोहम्मद इमरान बिहार
- हैं कैसी उलझन बोलो तो / हेमा
- हैं कैसी उलझन बोलो तो /भूपेन्द्र कुमार “भूपी”
- है कैसी उलझन बोलो तो / सविता मिश्रा
- मैं नारी हूॅं / अंजली मौर्या
- देवियों का रूप/ रोशन जी
- सहती लाखों पीड़ा ये / रवि श्रीवास्तव
- आत्मनिर्भर नारी / श्रीराज मेनन
- चलती है बस चलती है/अन्नू अग्रहरि
- आत्मनिर्भर भारत / मानसी
- नारी /प्रगती ईश्वरचंद साहुजी
- आत्मनिर्भर नारी / मानसिंह सुथार
- सुनों स्त्री.. / नमिता गुप्ता
- औरत / सैमी
- आत्मनिर्भर नारी / सविता
- नारी / प्रदीप
- आत्मनिर्भर नारी / रवि आफताब
- आत्मनिर्भर नारी /अनिश
- आखिरी मंजिल/ सिया
- दहेज / पूनम सिंह
- शांति / सिया
- एक आरजू है मेरी/सिया
- खेल….प्यार का /सिया
- गम ए जुदाई / सिया
- अंजान मुसाफिर /सिया
- एक चाह छोटी सी / सिया
- बस छोटी सी चाहत / सिया
- दास्तान-ए-इश्क / सिया
- मेरे हमदम मेरे हमसफर/ सिया
- समय का प्रभाव / सिया
- औरत का गहना / भावना
- आज का दौर / भावना
- जोगन हो गई हूँ /मानसिंह सुथार
- लौट आओ फिर/मानसिंह सुथार
- अब तलक/ मानसिंह सुथार
- सीखना होगा हमे / मानसिंह सुथार
- छोड़ो ये आना जाना/ मानसिंह सुथार
- समय की अविरल धारा / मानसिंह सुथार
- केदारनाथ सिंह
- तुझे भी हक़ है / पूनम सिंह
- अब न ठुकराना / पूनम सिंह
- नाज़ुक रिश्ते / पूनम सिंह
- बेपनाह इश्क़ /श्रीराज मेनन
- जीवन की सौगात/ श्रीराज मेनन
- भाईचारा / पूनम सिंह
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